Wednesday, 7 January 2015
Sunday, 4 January 2015
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ने हमे जीना सिखाया,
जीते हुए भी लड़ना सिखाया।
वक़्त का मरहम भरता है ज़ख्म,
ताज़्ज़ा हो तो दुखता है ज़ख्म।
इन् सभी बातो का तकाज़ा वास्तविक रूप में हमे बताया।
ज़िन्दगी ने हमे जिन सिखाया।
जानती हु मैं, ज़िन्दगी को करीब से,
पल पल की हसी पल पल के गम में,
तराशा है मैंने एक जोहरी सा
ज़िन्दगी का कोई मुकाम मैंने खोया भी नहीं,
खो कर भी मैंने कुछ पाया नहीं।
ये है ज़िन्दगी की कड़वी सचाई,
मर कर ही यहाँ हर एक ने जन्नत है पाई।
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