Wednesday 18 February 2015

राही

राह मुश्किल है मगर चलना तो है कंकड पत्थर डगर भर है कंटक शूल मारग,भर है फिर भी चलना है राही चलना है

Sunday 4 January 2015

ज़िन्दगी


ज़िन्दगी ने हमे जीना सिखाया,
जीते हुए भी लड़ना सिखाया।
वक़्त का मरहम भरता है ज़ख्म,
ताज़्ज़ा हो तो दुखता है ज़ख्म।
इन् सभी बातो का तकाज़ा वास्तविक रूप में हमे बताया।
ज़िन्दगी ने हमे जिन सिखाया।
जानती हु मैं, ज़िन्दगी को करीब से,
पल पल की हसी पल पल के गम में,
तराशा है मैंने एक जोहरी सा
ज़िन्दगी का कोई मुकाम मैंने खोया भी नहीं,
खो कर भी मैंने कुछ पाया नहीं।
ये है ज़िन्दगी की कड़वी सचाई,
मर कर ही यहाँ हर एक ने जन्नत है पाई।